इस लिए रौशनी में ठंडक है
कुछ चराग़ों को नम किया गया है
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
तहज़ीब हाफ़ी
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मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
तहज़ीब हाफ़ी
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