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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

तहज़ीब हाफ़ी




ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

तहज़ीब हाफ़ी




हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं

तैमूर हसन




ख़ुशी ज़रूर थी 'तैमूर' दिन निकलने की
मगर ये ग़म भी सिवा था कि रात बीत गई

तैमूर हसन




ख़ुशी ज़रूर थी 'तैमूर' दिन निकलने की
मगर ये ग़म भी सिवा था कि रात बीत गई

तैमूर हसन




मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है
तुझे दी है कितनी कड़ी सज़ा तुझे इल्म है

तैमूर हसन




मकाँ से होगा कभी ला-मकान से होगा
मिरा ये म'अरका दोनों जहान से होगा

तैमूर हसन