रिंद वाइज़ से क्यूँ कि सरबर हो
उस की छू, की किताब और ही है
ताबाँ अब्दुल हई
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रिंद वाइज़ से क्यूँ कि सरबर हो
उस की छू, की किताब और ही है
ताबाँ अब्दुल हई
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सफ़र दुनिया से करना क्या है 'ताबाँ'
अदम हस्ती से राह-ए-यक-नफ़स है
ताबाँ अब्दुल हई
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सोहबत-ए-शैख़ में तू रात को जाया मत कर
वो सिखा देगा तुझे जान नमाज़-ए-माकूस
ताबाँ अब्दुल हई
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सोहबत-ए-शैख़ में तू रात को जाया मत कर
वो सिखा देगा तुझे जान नमाज़-ए-माकूस
ताबाँ अब्दुल हई
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सुने क्यूँ-कर वो लब्बैक-ए-हरम को
जिसे नाक़ूस की आए सदा ख़ुश
ताबाँ अब्दुल हई
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'ताबाँ' ज़ि-बस हवा-ए-जुनूँ सर में है मिरे
अब मैं हूँ और दश्त है ये सर है और पहाड़
ताबाँ अब्दुल हई
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