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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मैं तो तालिब दिल से हूँगा दीन का
दौलत-ए-दुनिया मुझे मतलूब नहीं

ताबाँ अब्दुल हई




मलूँ हों ख़ाक जूँ आईना मुँह पर
तिरी सूरत मुझे आती है जब याद

ताबाँ अब्दुल हई




मलूँ हों ख़ाक जूँ आईना मुँह पर
तिरी सूरत मुझे आती है जब याद

ताबाँ अब्दुल हई




मोहब्बत तू मत कर दिल उस बेवफ़ा से
दिल उस बेवफ़ा से मोहब्बत तू मत कर

ताबाँ अब्दुल हई




मुझ से बीमार है मिरा ज़ालिम
ये सितम किस तरह सहूँ 'ताबाँ'

ताबाँ अब्दुल हई




मुझ से बीमार है मिरा ज़ालिम
ये सितम किस तरह सहूँ 'ताबाँ'

ताबाँ अब्दुल हई




मुझे आता है रोना ऐसी तन्हाई पे ऐ 'ताबाँ'
न यार अपना न दिल अपना न तन अपना न जाँ अपना

ताबाँ अब्दुल हई