जाने वाले कभी नहीं आते
जाने वालों की याद आती है
सिकंदर अली वज्द
ख़ुदा शाहिद है मेरे भूलने वाले ब-जुज़ तेरे
मुझे तख़्लीक़-ए-आलम राएगाँ मालूम होती है
सिकंदर अली वज्द
तमीज़-ए-ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त है शर्त-ए-बेदारी
ख़याल-ए-अज़्मत-ए-माज़ी को छोड़ हाल को देख
सिकंदर अली वज्द
तमीज़-ए-ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त है शर्त-ए-बेदारी
ख़याल-ए-अज़्मत-ए-माज़ी को छोड़ हाल को देख
सिकंदर अली वज्द
बेवफ़ाई का मुझे इल्ज़ाम देता था वो शख़्स
मैं ने भी इतना किया बस उस को सच्चा कर दिया
सिरज़ अालम ज़ख़मी
बिखरते टूटते लम्हों में ऐसा लगता है
मिरा गुमान है तू और तिरा क़यास हूँ मैं
सिरज़ अालम ज़ख़मी
बिखरते टूटते लम्हों में ऐसा लगता है
मिरा गुमान है तू और तिरा क़यास हूँ मैं
सिरज़ अालम ज़ख़मी