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जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल | शाही शायरी
jin ki aankhon mein tha surur-e-ghazal

ग़ज़ल

जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल

सिकंदर अली वज्द

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जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है

सादगी ला-जवाब थी जिन की
उन सवालों की याद आती है

जाने वाले कभी नहीं आते
जाने वालों की याद आती है

'वज्द' लुत्फ़-ए-सुख़न मुबारक हो
बा-कमालों की याद आती है