कुछ ऐसा धुआँ है कि घुट्टी जाती हैं साँसें
इस रात के ब'अद आओगे शायद न कभी याद
शोहरत बुख़ारी
पर्दे में ख़मोशी के बुर्के में उदासी के
शायद कोई आ जाए दरवाज़ा खुला रखना
शोहरत बुख़ारी
ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
शोहरत बुख़ारी
ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
शोहरत बुख़ारी
बुतों में कोई भलाई भी है सिवाए सितम
बुरा हो तेरा दिल-ए-ना-सज़ा किधर आया
शोला अलीगढ़ी
ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही
शोला अलीगढ़ी
ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही
शोला अलीगढ़ी