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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

कुछ ऐसा धुआँ है कि घुट्टी जाती हैं साँसें
इस रात के ब'अद आओगे शायद न कभी याद

शोहरत बुख़ारी




पर्दे में ख़मोशी के बुर्के में उदासी के
शायद कोई आ जाए दरवाज़ा खुला रखना

शोहरत बुख़ारी




ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार

शोहरत बुख़ारी




ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार

शोहरत बुख़ारी




बुतों में कोई भलाई भी है सिवाए सितम
बुरा हो तेरा दिल-ए-ना-सज़ा किधर आया

शोला अलीगढ़ी




ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही

शोला अलीगढ़ी




ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही

शोला अलीगढ़ी