जैसा मंज़र मिले गवारा कर
तब्सिरे छोड़ दे नज़ारा कर
शुजा ख़ावर
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जैसा मंज़र मिले गवारा कर
तब्सिरे छोड़ दे नज़ारा कर
शुजा ख़ावर
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जिन को क़ुदरत है तख़य्युल पर उन्हें दिखता नहीं
जिन की आँखें ठीक हैं उन को तख़य्युल चाहिए
शुजा ख़ावर
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जो ज़िंदा हो उसे तो मार देते हैं जहाँ वाले
जो मरना चाहता हो उस को ज़िंदा छोड़ देते हैं
शुजा ख़ावर
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करम है मुझ पे किसी और के जलाने को
वो शख़्स मुझ पे कोई मेहरबान थोड़ी है
शुजा ख़ावर
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करम है मुझ पे किसी और के जलाने को
वो शख़्स मुझ पे कोई मेहरबान थोड़ी है
शुजा ख़ावर
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मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
परिंदे पर शजर रक्खा हुआ है
शुजा ख़ावर
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