हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए
शकील आज़मी
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इस बार उस की आँखों में इतने सवाल थे
मैं भी सवाल बन के सवालों में रह गया
शकील आज़मी
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जाने कैसा रिश्ता है रहगुज़र का क़दमों से
थक के बैठ जाऊँ तो रास्ता बुलाता है
शकील आज़मी
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जाने कैसा रिश्ता है रहगुज़र का क़दमों से
थक के बैठ जाऊँ तो रास्ता बुलाता है
शकील आज़मी
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जब तलक उस ने हम से बातें कीं
जैसे फूलों के दरमियान थे हम
शकील आज़मी
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ख़ुद को इतना भी न बचाया कर
बारिशें हों तो भीग जाया कर
शकील आज़मी
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ख़ुद को इतना भी न बचाया कर
बारिशें हों तो भीग जाया कर
शकील आज़मी
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