बात जब है ग़म के मारों को जिला दे ऐ 'शकील'
तू ये ज़िंदा मय्यतें मिट्टी में दाब आया तो क्या
शकील बदायुनी
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बदलती जा रही है दिल की दुनिया
नए दस्तूर होते जा रहे हैं
शकील बदायुनी
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बे-पिए शैख़ फ़रिश्ता था मगर
पी के इंसान हुआ जाता है
शकील बदायुनी
बे-पिए शैख़ फ़रिश्ता था मगर
पी के इंसान हुआ जाता है
शकील बदायुनी
बे-तअल्लुक़ तिरे आगे से गुज़र जाता है
ये भी इक हुस्न-ए-तलब है तेरे दीवाने का
शकील बदायुनी
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बे-तअल्लुक़ तिरे आगे से गुज़र जाता है
ये भी इक हुस्न-ए-तलब है तिरे दीवाने का
शकील बदायुनी
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बे-तअल्लुक़ तिरे आगे से गुज़र जाता है
ये भी इक हुस्न-ए-तलब है तिरे दीवाने का
शकील बदायुनी
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