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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

अगर रोते न हम तो देखते तुम
जहाँ में नाव को दरिया न होता

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




अगर रोते न हम तो देखते तुम
जहाँ में नाव को दरिया न होता

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




अहल-ए-म'अनी जुज़ न बूझेगा कोई इस रम्ज़ को
हम ने पाया है ख़ुदा को सूरत-ए-इंसाँ के बीच

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ऐ ख़िरद-मंदो मुबारक हो तुम्हें फ़र्ज़ानगी
हम हों और सहरा हो और हैरत हो और दीवानगी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ऐ ख़िरद-मंदो मुबारक हो तुम्हें फ़र्ज़ानगी
हम हों और सहरा हो और हैरत हो और दीवानगी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ऐ ख़िज़ाँ भाग जा चमन से शिताब
वर्ना फ़ौज-ए-बहार आवे है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ऐ मुसलमानो बड़ा काफ़िर है वो
जो न होवे ज़ुल्फ़-गीराँ का मुतीअ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम