ऐ मुसलमानो बड़ा काफ़िर है वो
जो न होवे ज़ुल्फ़-गीराँ का मुतीअ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ऐसा करूँगा अब के गरेबाँ को तार तार
जो फिर किसी तरह से किसी से रफ़ू न हो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद
जुज़ साया-ए-ख़ुदा कहीं दार-उल-अमाँ नहीं
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद
जुज़ साया-ए-ख़ुदा कहीं दार-उल-अमाँ नहीं
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
अनल-हक़ की हक़ीक़त को जो हो मंसूर सो जाने
कि उस को आसमाँ चढ़ने से चढ़ना दार बेहतर था
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
असीरों का नहीं कुछ शोर-ओ-ग़ुल ये आज ज़िंदाँ में
मिरे दीवाना-पन को देख कर ज़ंजीर हँसती है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
असीरों का नहीं कुछ शोर-ओ-ग़ुल ये आज ज़िंदाँ में
मिरे दीवाना-पन को देख कर ज़ंजीर हँसती है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम