दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
मैं ने जब की आह उस ने वाह की
आसी ग़ाज़ीपुरी
दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहिब-ए-दिल
हाथ आ जाती है खो देने से दौलत दिल की
आसी ग़ाज़ीपुरी
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ख़ुदा से तिरा चाहना चाहता हूँ
मेरा चाहना देख क्या चाहता हूँ
आसी ग़ाज़ीपुरी
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किस को देखा उन की सूरत देख कर
जी में आता है कि सज्दा कीजिए
आसी ग़ाज़ीपुरी
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लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है
आसी ग़ाज़ीपुरी
मेरी आँखें और दीदार आप का
या क़यामत आ गई या ख़्वाब है
आसी ग़ाज़ीपुरी
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मिलने वाले से राह पैदा कर
उस से मिलने की और सूरत क्या
आसी ग़ाज़ीपुरी
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