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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

ये कौन फिर से उन्हीं रास्तों में छोड़ गया
अभी अभी तो अज़ाब-ए-सफ़र से निकला था

अहमद फ़राज़




ये किन नज़रों से तू ने आज देखा
कि तेरा देखना देखा न जाए

अहमद फ़राज़




ये किन नज़रों से तू ने आज देखा
कि तेरा देखना देखा न जाए

अहमद फ़राज़




यूँ तो पहले भी हुए उस से कई बार जुदा
लेकिन अब के नज़र आते हैं कुछ आसार जुदा

अहमद फ़राज़




यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ

अहमद फ़राज़




ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा

अहमद फ़राज़




ज़िंदगी पर इस से बढ़ कर तंज़ क्या होगा 'फ़राज़'
उस का ये कहना कि तू शाएर है दीवाना नहीं

अहमद फ़राज़