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जौन एलिया शायरी | शाही शायरी

जौन एलिया शेर

159 शेर

मरहम-ए-हिज्र था अजब इक्सीर
अब तो हर ज़ख़्म भर गया होगा

जौन एलिया




मैं सहूँ कर्ब-ए-ज़िंदगी कब तक
रहे आख़िर तिरी कमी कब तक

जौन एलिया




किया था अहद जब लम्हों में हम ने
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम

जौन एलिया




क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

जौन एलिया




क्या हुए सूरत-निगाराँ ख़्वाब के
ख़्वाब के सूरत-निगाराँ क्या हुए

जौन एलिया




क्या है जो बदल गई है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ

जौन एलिया




कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा

जौन एलिया




कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

जौन एलिया




ख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी

जौन एलिया