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जौन एलिया शायरी | शाही शायरी

जौन एलिया शेर

159 शेर

फुलाँ से थी ग़ज़ल बेहतर फुलाँ की
फुलाँ के ज़ख़्म अच्छे थे फुलाँ से

जौन एलिया




एक क़त्ताला चाहिए हम को
हम ये एलान-ए-आम कर रहे हैं

जौन एलिया




एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए

जौन एलिया




एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

जौन एलिया




दो जहाँ से गुज़र गया फिर भी
मैं रहा ख़ुद को उम्र भर दरपेश

जौन एलिया




दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते

जौन एलिया




दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँ
हम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं

जौन एलिया




चाँद ने तान ली है चादर-ए-अब्र
अब वो कपड़े बदल रही होगी

जौन एलिया




बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या

जौन एलिया