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हैदर अली आतिश शायरी | शाही शायरी

हैदर अली आतिश शेर

89 शेर

अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत
नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत

हैदर अली आतिश




भरा है शीशा-ए-दिल को नई मोहब्बत से
ख़ुदा का घर था जहाँ वाँ शराब-ख़ाना हुआ

हैदर अली आतिश




बे-गिनती बोसे लेंगे रुख़-ए-दिल-पसंद के
आशिक़ तिरे पढ़े नहीं इल्म-ए-हिसाब को

we shall kiss your beautiful face without counting
your lover is unversed in the science of accounting

हैदर अली आतिश




बयाँ ख़्वाब की तरह जो कर रहा है
ये क़िस्सा है जब का कि 'आतिश' जवाँ था

हैदर अली आतिश




बस्तियाँ ही बस्तियाँ हैं गुम्बद-ए-अफ़्लाक में
सैकड़ों फ़रसंग मजनूँ से बयाबाँ रह गया

हैदर अली आतिश




बरहमन खोले हीगा बुत-कदा का दरवाज़ा
बंद रहने का नहीं कार-ए-ख़ुदा-साज़ अपना

हैदर अली आतिश




बंदिश-ए-अल्फ़ाज़ जड़ने से निगूँ के कम नहीं
शाएरी भी काम है 'आतिश' मुरस्सा-साज़ का

हैदर अली आतिश




बहर-ए-हस्ती सा कोई दरिया-ए-बे-पायाँ नहीं
आसमान-ए-नील-गूँ सा सब्ज़ा-ए-साहिल कहाँ

हैदर अली आतिश




बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला

हैदर अली आतिश