दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
चमन पे ग़ारत-ए-गुल-चीं से जाने क्या गुज़री
क़फ़स से आज सबा बे-क़रार गुज़री है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
चंग ओ नय रंग पे थे अपने लहू के दम से
दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज़ का रंग
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़ारा का असर तो देखो
गुल खिले जाते हैं वो साया-ए-तर तो देखो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
what else is there now for me to view
I have experienced being in love with you
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
sorrows other than love's longing does this life provide
comforts other than a lover's union too abide
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ऐ ज़ुल्म के मातो लब खोलो चुप रहने वालो चुप कब तक
कुछ हश्र तो उन से उट्ठेगा कुछ दूर तो नाले जाएँगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अगर शरर है तो भड़के जो फूल है तो खिले
तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे
गुनाहगार-ए-नज़र को हिजाब आता है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़