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बशीर बद्र शायरी | शाही शायरी

बशीर बद्र शेर

159 शेर

पहचान अपनी हम ने मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी

बशीर बद्र




पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में

बशीर बद्र




पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

बशीर बद्र




पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा

बशीर बद्र




फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी

बशीर बद्र




फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

बशीर बद्र




फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे

बशीर बद्र




फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तिरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

बशीर बद्र




प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
मय-कदे में कोई छोटा न बड़ा जाम उठा

बशीर बद्र