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आरज़ू लखनवी शायरी | शाही शायरी

आरज़ू लखनवी शेर

78 शेर

नाले हैं दिलसिताँ तो फिर आहें हैं बर्छियाँ तो फिर
हम तो ख़मोश बैठे थे आप ने क्यूँ सता दिया

आरज़ू लखनवी




किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी

आरज़ू लखनवी




कुछ कहते कहते इशारों में शर्मा के किसी का रह जाना
वो मेरा समझ कर कुछ का कुछ जो कहना न था सब कह जाना

आरज़ू लखनवी




कुछ तो मिल जाए लब-ए-शीरीं से
ज़हर खाने की इजाज़त ही सही

आरज़ू लखनवी




लालच भरी मोहब्बत नज़रों से गिर न जाए
बद-ए'तिक़ाद दिल की झूटी नमाज़ हो कर

आरज़ू लखनवी




मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने
दिल आप निशाना बनता है वो तीर चलाना क्या जाने

आरज़ू लखनवी




मख़रब-ए-कार हुई जोश में ख़ुद उजलत-ए-कार
पीछे हट जाएगी मंज़िल मुझे मालूम न था

आरज़ू लखनवी




मिसाल-ए-शम्अ अपनी आग में क्या आप जल जाऊँ
क़िसास-ए-ख़ामुशी लेगी कहाँ तक ऐ ज़बाँ मुझ से

आरज़ू लखनवी




मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
बढ़ी जब बे-ख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से

आरज़ू लखनवी