अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम 
मकान हो कि मकीं दो दिलों का मिलना देख
सय्यद अमीन अशरफ़
है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना 
चमन का मौजा-ए-बाद-ए-सबा से कट जाना
सय्यद अमीन अशरफ़
है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती न बयाबाँ 
आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता
सय्यद अमीन अशरफ़
हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला 
दर्द इस दीदा-ए-तर से नहीं जाने वाला
सय्यद अमीन अशरफ़
हवा का तब्सिरा ये साकिनान-ए-शहर पे था 
अजीब लोग हैं पानी पे घर बनाते हैं
सय्यद अमीन अशरफ़
इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब ओ फ़लक-ताब 
इक चाँद है आसूदगी-ए-हिज्र का मारा
सय्यद अमीन अशरफ़
इक ख़ला है जो पुर नहीं होता 
जब कोई दरमियाँ से उठता है
सय्यद अमीन अशरफ़
इस तरह चश्म-ए-नीम-वा ग़ाफ़िल भी थी बेदार भी 
जैसे नशा हो रात का या सुब्ह का तड़का हुआ
सय्यद अमीन अशरफ़
जिसे ना-ख़्वाब कहते हैं उसी को ख़्वाब कहते हैं 
तमीज़-ए-ख़ैर-ओ-शर में नुकता-ए-सद-मोतबर क्या है
सय्यद अमीन अशरफ़

