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सुदर्शन फ़ाख़िर शायरी | शाही शायरी

सुदर्शन फ़ाख़िर शेर

15 शेर

आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाख़िर'
बे-दिली से तो इब्तिदा न करो

worship, love whatever be
begin it not half-heartedly

सुदर्शन फ़ाख़िर




देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है

do not deem her smile to be a sign of grace
she mocks those poor souls who've looked upon her face

सुदर्शन फ़ाख़िर




दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया

no tears were permissible though weeping be the heart
in love's domain such cruel customs tore my heart apart

सुदर्शन फ़ाख़िर




हम से पूछो न दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा

सुदर्शन फ़ाख़िर




हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

showers of wine, I did think, would come with rainy clime
but alas when it did rain my heart broke one more time

सुदर्शन फ़ाख़िर




हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त
बस तिरी याद के साए हैं पनाहों की तरह

सुदर्शन फ़ाख़िर




इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो

love is love, no joke at all
Rashly, do not make a call

सुदर्शन फ़ाख़िर




मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
क्या मिरे हक़ में फ़ैसला देगा

my killer is himself my judge upon this day
how then will he decide in my favour pray?

सुदर्शन फ़ाख़िर




मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो

my sorrows no one should allay
keep not me from my self away

सुदर्शन फ़ाख़िर