मेरे रुकते ही मिरी साँसें भी रुक जाएँगी
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
सुदर्शन फ़ाख़िर
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सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं
सुदर्शन फ़ाख़िर
तेरे जाने में और आने में
हम ने सदियों का फ़ासला देखा
सुदर्शन फ़ाख़िर
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तेरी आँखों में हम ने क्या देखा
कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा
सुदर्शन फ़ाख़िर
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ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो
friendship has taught this to me
in friendship don’t bear loyalty
सुदर्शन फ़ाख़िर
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ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं
याद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह
सुदर्शन फ़ाख़िर
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