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सैफ़ुद्दीन सैफ़ शायरी | शाही शायरी

सैफ़ुद्दीन सैफ़ शेर

38 शेर

आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद
आज की रात बड़ी देर के ब'अद आई है

सैफ़ुद्दीन सैफ़




आप ठहरे हैं तो ठहरा है निज़ाम-ए-आलम
आप गुज़रे हैं तो इक मौज-ए-रवाँ गुज़री है

सैफ़ुद्दीन सैफ़




ऐसे लम्हे भी गुज़ारे हैं तिरी फ़ुर्क़त में
जब तिरी याद भी इस दिल पे गिराँ गुज़री है

सैफ़ुद्दीन सैफ़




अपनी वुसअत में खो चुका हूँ मैं
राह दिखला सको तो आ जाओ

सैफ़ुद्दीन सैफ़




बोले वो कुछ ऐसी बे-रुख़ी से
दिल ही में रहा सवाल अपना

सैफ़ुद्दीन सैफ़




चलो मय-कदे में बसेरा ही कर लो
न आना पड़ेगा न जाना पड़ेगा

सैफ़ुद्दीन सैफ़




दिल ने पाया क़रार पहलू में
गर्दिश-ए-काएनात ख़त्म हुई

सैफ़ुद्दीन सैफ़




दिल-ए-नादाँ तिरी हालत क्या है
तू न अपनों में न बेगानों में

सैफ़ुद्दीन सैफ़




दिल-ए-वीराँ को देखते क्या हो
ये वही आरज़ू की बस्ती है

सैफ़ुद्दीन सैफ़