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सैफ़ुद्दीन सैफ़ शायरी | शाही शायरी

सैफ़ुद्दीन सैफ़ शेर

38 शेर

कितने अंजान हैं क्या सादगी से पूछते हैं
कहिए क्या मेरी किसी बात पे रोना आया

सैफ़ुद्दीन सैफ़




कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो कि फ़साना-ए-मोहब्बत
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोए

सैफ़ुद्दीन सैफ़