फ़रिश्ता है तो तक़द्दुस तुझे मुबारक हो
हम आदमी हैं तो ऐब-ओ-हुनर भी रखते हैं
दिल अय्यूबी
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवा
ऐ 'दिल' ये इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
दिल अय्यूबी
कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ
ख़ुदा जाने कितनी तहों में छुपा हूँ
दिल अय्यूबी
लम्हा लम्हा मुझे वीरान किए देता है
बस गया मेरे तसव्वुर में ये चेहरा किस का
दिल अय्यूबी
न गिर्द-ओ-पेश से इस दर्जा बे-नियाज़ गुज़र
जो बे-ख़बर से हैं सब की ख़बर भी रखते हैं
दिल अय्यूबी
फिर मरहला-ए-ख़्वाब-ए-बहाराँ से गुज़र जा
मौसम है सुहाना तो गरेबाँ से गुज़र जा
दिल अय्यूबी
ये दिलचस्प वादे ये रंगीं दिलासे
अजब साज़िशें हैं कहाँ आ गया हूँ
दिल अय्यूबी
ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहीं
सऊबतों से जो घबरा गए हों घर जाएँ
दिल अय्यूबी