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कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ | शाही शायरी
kahan main abhi tak nazar aa saka hun

ग़ज़ल

कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ

दिल अय्यूबी

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कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ
ख़ुदा जाने कितनी तहों में छुपा हूँ

ये किस ने सदा दी मुझे ज़िंदगी ने
मगर मैं तो सदियाँ हुईं मर चुका हूँ

ये कह कर तो मंज़िल ने दिल तोड़ डाला
जहाँ से चला था वही मरहला हूँ

ये दिलचस्प वअ'दे ये रंगीं दिलासे
अजब साज़िशें हैं कहाँ आ गया हूँ

तिरा क़ुर्ब हासिल हुआ भी तो क्या है
वही फ़ासला था वही फ़ासला हूँ