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जिंदगी शायरी | शाही शायरी

जिंदगी

163 शेर

मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
बुज़ुर्गों की दुआ ने मार डाला

all these worldly troubles and longevity
blessings of the elders is the death of me

मुज़्तर ख़ैराबादी




ज़िंदगी से तो ख़ैर शिकवा था
मुद्दतों मौत ने भी तरसाया

नरेश कुमार शाद




हिचकियों पर हो रहा है ज़िंदगी का राग ख़त्म
झटके दे कर तार तोड़े जा रहे हैं साज़ के

नातिक़ गुलावठी




जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से

नज़ीर सिद्दीक़ी




धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

निदा फ़ाज़ली




होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

निदा फ़ाज़ली




मैं भी तू भी यात्री चलती रुकती रेल
अपने अपने गाँव तक सब का सब से मेल

निदा फ़ाज़ली