बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए
हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते
मजरूह सुल्तानपुरी
ज़िंदगी ख़्वाब देखती है मगर
ज़िंदगी ज़िंदगी है ख़्वाब नहीं
मक़बूल नक़्श
'मीर' अमदन भी कोई मरता है
जान है तो जहान है प्यारे
मीर तक़ी मीर
वो जंगलों में दरख़्तों पे कूदते फिरना
बुरा बहुत था मगर आज से तो बेहतर था
मोहम्मद अल्वी
यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
यही ज़िंदगी हक़ीक़त यही ज़िंदगी फ़साना
मुईन अहसन जज़्बी
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'मुनीर' इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी को
हमेशा एक सा होना नहीं है
मुनीर नियाज़ी
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ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं
मुज़फ़्फ़र वारसी
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