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Sawal शायरी | शाही शायरी

Sawal

27 शेर

अजीब तुर्फ़ा-तमाशा है मेरे अहद के लोग
सवाल करने से पहले जवाब माँगते हैं

अब्बास रिज़वी




सवाल कर के मैं ख़ुद ही बहुत पशेमाँ हूँ
जवाब दे के मुझे और शर्मसार न कर

अब्दुल हमीद अदम




जो सोते हैं नहीं कुछ ज़िक्र उन का वो तो सोते हैं
मगर जो जागते हैं उन में भी बेदार कितने हैं

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद




क्यूँ परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'
होंट अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है

अदीम हाशमी




अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ
जो समा में आ गया फिर वो ख़ुदा क्यूँकर हुआ

अकबर इलाहाबादी




जो चाहिए सो माँगिये अल्लाह से 'अमीर'
उस दर पे आबरू नहीं जाती सवाल से

अमीर मीनाई




माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है

अमीर मीनाई