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Sawal शायरी | शाही शायरी

Sawal

27 शेर

सवाल ये है कि आपस में हम मिलें कैसे
हमेशा साथ तो चलते हैं दो किनारे भी

अमजद इस्लाम अमजद




सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
तू ने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले

आनंद नारायण मुल्ला




कभी कभी तो ये दिल में सवाल उठता है
कि इस जुदाई में क्या उस ने पा लिया होगा

अनवर अंजुम




कैसे याद रही तुझ को
मेरी इक छोटी सी भूल

बासिर सुल्तान काज़मी




वो थे जवाब के साहिल पे मुंतज़िर लेकिन
समय की नाव में मेरा सवाल डूब गया

बेकल उत्साही




जवाब सोच के वो दिल में मुस्कुराते हैं
अभी ज़बान पे मेरी सवाल भी तो न था

बेख़ुद देहलवी




सवाल-ए-वस्ल पर कुछ सोच कर उस ने कहा मुझ से
अभी वादा तो कर सकते नहीं हैं हम मगर देखो

बेख़ुद देहलवी