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Nigaah शायरी | शाही शायरी

Nigaah

51 शेर

बरसों रहे हैं आप हमारी निगाह में
ये क्या कहा कि हम तुम्हें पहचानते नहीं

नूह नारवी




अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो

साहिर लुधियानवी




तुझे दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी

सीमाब अकबराबादी




छल-बल उस की निगाह का मत पूछ
सेहर है टोटका है टोना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




मुझे तावीज़ लिख दो ख़ून-ए-आहू से कि ऐ स्यानो
तग़ाफ़ुल टोटका है और जादू है नज़र उस की

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




शग़ुफ़्तगी-ए-दिल-ए-कारवाँ को क्या समझे
वो इक निगाह जो उलझी हुई बहार में है

शकील बदायुनी




धोका था निगाहों का मगर ख़ूब था धोका
मुझ को तिरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई

शौकत थानवी