अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो
हम से अगर है तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो कोई तो उन की ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल-शनास हैं
उन को भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऐ रह-रवान-ए-ख़ाक-बसर पूछते चलो
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ग़ज़ल
अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
साहिर लुधियानवी