धूप निकली है बारिशों के ब'अद
वो अभी रो के मुस्कुराए हैं
अंजुम लुधियानवी
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मुस्कुरा कर देख लेते हो मुझे
इस तरह क्या हक़ अदा हो जाएगा
अनवर शऊर
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यूँ मुस्कुराए जान सी कलियों में पड़ गई
यूँ लब-कुशा हुए कि गुलिस्ताँ बना दिया
असग़र गोंडवी
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नहीं इताब-ए-ज़माना ख़िताब के क़ाबिल
तिरा जवाब यही है कि मुस्कुराए जा
हफ़ीज़ जालंधरी
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हमारे घर से जाना मुस्कुरा कर फिर ये फ़रमाना
तुम्हें मेरी क़सम देखो मिरी रफ़्तार कैसी है
हसन बरेलवी
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इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त ज़रा सा हँस कर
मुस्कुराते हुए लम्हात से जी डरता है
हसन नईम
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महफ़िल में लोग चौंक पड़े मेरे नाम पर
तुम मुस्कुरा दिए मिरी क़ीमत यही तो है
हाशिम रज़ा जलालपुरी
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