एक ऐसा भी वक़्त होता है
मुस्कुराहट भी आह होती है
जिगर मुरादाबादी
गुज़र रहा है इधर से तो मुस्कुराता जा
चराग़-ए-मज्लिस-ए-रुहानियाँ जलाता जा
जोश मलीहाबादी
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मुस्कुराना कभी न रास आया
हर हँसी एक वारदात बनी
कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
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'नज़ीर' लोग तो चेहरे बदलते रहते हैं
तू इतना सादा न बन मुस्कुराहटें पहचान
नज़ीर तबस्सुम
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