ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा
एक दिन सब कुछ फ़ना हो जाएगा
क्या पता था देखना उस की तरफ़
हादसा इतना बड़ा हो जाएगा
मुद्दतों से बंद दरवाज़ा कोई
दस्तकें देने से वा हो जाएगा
है अभी तक उस के आने का यक़ीन
जैसे कोई मो'जिज़ा हो जाएगा
मुस्कुरा कर देख लेते हो मुझे
इस तरह क्या हक़ अदा हो जाएगा
काश हो जाओ मिरे हम-राह तुम
वर्ना कोई दूसरा हो जाएगा
कल का वा'दा और इस बोहरान में?
जाने कल दुनिया में क्या हो जाएगा
रंग लाएगा शहीदों का लहू
ज़ुल्म जब हद से सिवा हो जाएगा
आप का कुछ भी न जाएगा 'शुऊर'
हम ग़रीबों का भला हो जाएगा
ग़ज़ल
ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा
अनवर शऊर