सब सितारे दिलासा देते हैं
चाँद रातों को चीख़ता है बहुत
आलोक मिश्रा
आस क्या अब तो उमीद-ए-नाउमीदी भी नहीं
कौन दे मुझ को तसल्ली कौन बहलाए मुझे
अमीरुल्लाह तस्लीम
हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था
आज़ाद अंसारी
मेरी वफ़ा है उस की उदासी का एक बाब
मुद्दत हुई है जिस से मुझे अब मिले हुए
अज़ीज़ हामिद मदनी
कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल
वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए
बहादुर शाह ज़फ़र
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में
my heart, these dismal ruins, cannot now placate
who can find sustenance in this unstable state
बहादुर शाह ज़फ़र
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
बशीर बद्र