इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी
हँस हँस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है
महेश चंद्र नक़्श
शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी
आप आए तो मुझ को याद आया
महेश चंद्र नक़्श
ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं
तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत
महमूद शाम
आज तो बे-सबब उदास है जी
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी
नासिर काज़मी
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भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
नासिर काज़मी
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दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है
नासिर काज़मी
हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'
उदासी बाल खोले सो रही है
नासिर काज़मी