तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं
तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया
मुबारक अज़ीमाबादी
मिरे गुनाह ज़ियादा हैं या तिरी रहमत
करीम तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे
whether my sins are greater of your mercy pray?
My lord take account and tell me this today
मुज़्तर ख़ैराबादी
गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रब
तिरी निगाह-ए-करम को भी मुँह दिखाना था
O Lord, I was not drawn to sinning all the time
how else could I confront your mercy so sublime
नरेश कुमार शाद
ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
मगर लोगों से अब ख़ाइफ़ ख़ुदा है
नरेश कुमार शाद
ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा
अपनी दुनिया देख ज़रा
नासिर काज़मी
ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए
तो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए
उबैदुल्लाह अलीम
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
क़तील शिफ़ाई