झोलियाँ सब की भरती जाती हैं
देने वाला नज़र नहीं आता
अमजद हैदराबादी
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सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
तू ने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
आप करते जो एहतिराम-ए-बुताँ
बुत-कदे ख़ुद ख़ुदा ख़ुदा करते
अनवर साबरी
हम कि मायूस नहीं हैं उन्हें पा ही लेंगे
लोग कहते हैं कि ढूँडे से ख़ुदा मिलता है
अर्श सिद्दीक़ी
दहर में इक तिरे सिवा क्या है
तू नहीं है तो फिर भला क्या है
अज़ीज़ तमन्नाई
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ज़ाहिदा काबे को जाता है तो कर याद-ए-ख़ुदा
फिर जहाज़ों में ख़याल-ए-ना-ख़ुदा करता है क्यूँ
बहराम जी
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ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे
बशीर बद्र