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खुदा शायरी | शाही शायरी

खुदा

73 शेर

सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे
इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा न था

बशीर बद्र




कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है

बेदम शाह वारसी




आता है जो तूफ़ाँ आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है
मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए

this vessel is by God sustained let the mighty storms appear,

बहज़ाद लखनवी


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आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता

in romance, does God abound
O priest in piety not found

दाग़ देहलवी




'दाग़' को कौन देने वाला था
जो दिया ऐ ख़ुदा दिया तू ने

दाग़ देहलवी




दैर ओ काबा में भटकते फिर रहे हैं रात दिन
ढूँढने से भी तो बंदों को ख़ुदा मिलता नहीं

दत्तात्रिया कैफ़ी




उसी ने चाँद के पहलू में इक चराग़ रखा
उसी ने दश्त के ज़र्रों को आफ़्ताब किया

फ़हीम शनास काज़मी