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जवानी शायरी | शाही शायरी

जवानी

50 शेर

हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार
इक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है

अब्बास ताबिश




कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं
जा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला

tis said this fleeting life once gone never returns
go to the tavern and bring back my youth again

अब्दुल हमीद अदम




नौजवानी में पारसा होना
कैसा कार-ए-ज़बून है प्यारे

अब्दुल हमीद अदम




वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
नग़्मात में डूबी हुई बरसात का आलम

अब्दुल हमीद अदम




किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेह
ये उम्र ही ऐसी है सुझाई नहीं देता

आग़ा शाएर क़ज़लबाश




जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं
यही लड़के मिटाते हैं जवानी को जवाँ हो कर

अकबर इलाहाबादी




लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं

अकबर इलाहाबादी