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जवानी शायरी | शाही शायरी

जवानी

50 शेर

जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता

as she came of age she started to be veiled from me
shyness came to her at once, beauty then slowly

अमीर मीनाई




झूट है सब तारीख़ हमेशा अपने को दुहराती है
अच्छा मेरा ख़्वाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो

that history doth repeat itself has no shred of truth
if it does so let it then return to me my youth

अंदलीब शादानी




उफ़ वो तूफ़ान-ए-शबाब आह वो सीना तेरा
जिसे हर साँस में दब दब के उभरता देखा

अंदलीब शादानी




बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है
हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है

अर्श मलसियानी




तौबा तौबा ये बला-ख़ेज़ जवानी तौबा
देख कर उस बुत-ए-काफ़िर को ख़ुदा याद आया

अर्श मलसियानी




तेरे शबाब ने किया मुझ को जुनूँ से आश्ना
मेरे जुनूँ ने भर दिए रंग तिरी शबाब में

असर सहबाई




ये हुस्न-ए-दिल-फ़रेब ये आलम शबाब का
गोया छलक रहा है पियाला शराब का

असर सहबाई