आइना देख के फ़रमाते हैं
किस ग़ज़ब की है जवानी मेरी
इम्दाद इमाम असर
'जलाल' अहद-ए-जवानी है दोगे दिल सौ बार
अभी की तौबा नहीं ए'तिबार के क़ाबिल
जलाल लखनवी
आया था साथ ले के मोहब्बत की आफ़तें
जाएगा जान ले के ज़माना शबाब का
जिगर बिसवानी
गुदाज़-ए-इश्क़ नहीं कम जो मैं जवाँ न रहा
वही है आग मगर आग में धुआँ न रहा
no longer am I young, love's passion still remains
the fire as yet burns, no smoke tho it contains
जिगर मुरादाबादी
किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होना
क़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
जोश मलीहाबादी
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
क्या याद कर के रोऊँ कि कैसा शबाब था
कुछ भी न था हवा थी कहानी थी ख़्वाब था
लाला माधव राम जौहर