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फिल्मी शायरी | शाही शायरी

फिल्मी

66 शेर

कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा

But for madness what is this, can anyone divine?
I am hers forevermore, who never can be mine

शकील बदायुनी




यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

Every evening was, by hope, sustained
This evening's desperation makes me weep

शकील बदायुनी




नाज़ुक-कलामियाँ मिरी तोड़ें अदू का दिल
मैं वो बला हूँ शीशे से पत्थर को तोड़ दूँ

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़