इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
साहिर लुधियानवी
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है
साहिर लुधियानवी
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
साहिर लुधियानवी
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
साहिर लुधियानवी
फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी
साहिर लुधियानवी
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
साहिर लुधियानवी