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दुआ शायरी | शाही शायरी

दुआ

61 शेर

नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम
मजबूर हैं कि लड़ नहीं सकते ख़ुदा से हम

अहसन मारहरवी




हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़

अल्लामा इक़बाल




होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
दिल चाहता न हो तो ज़बाँ में असर कहाँ

अल्ताफ़ हुसैन हाली




माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है

अमीर मीनाई




बाक़ी ही क्या रहा है तुझे माँगने के बाद
बस इक दुआ में छूट गए हर दुआ से हम

आमिर उस्मानी




क्यूँ नहीं होते मुनाजातों के मअनी मुन्कशिफ़
रम्ज़ बन जाता है क्यूँ हर्फ़-ए-दुआ हम से सुनो

अनीस अशफ़ाक़




आते हैं बर्ग-ओ-बार दरख़्तों के जिस्म पर
तुम भी उठाओ हाथ कि मौसम दुआ का है

असअ'द बदायुनी