है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं
मेरे नग़्मात को अंदाज़-ए-नवा याद नहीं
साग़र सिद्दीक़ी
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राह का शजर हूँ मैं और इक मुसाफ़िर तू
दे कोई दुआ मुझ को ले कोई दुआ मुझ से
सज्जाद बलूच
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हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगे
सुनने वाले रात कटने की दुआ देने लगे
साक़िब लखनवी
तू ने ग़ारत किया घर बैठे घर इक आलम का
ख़ाना आबाद हो तेरा ऐ मिरे ख़ाना-ख़राब
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
he who is stricken by love, remembers naught at all
no cure will come to mind, nor prayer will recall
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़