किस को देखा है ये हुआ क्या है
दिल धड़कता है माजरा क्या है
इक मोहब्बत थी मिट चुकी या रब
तेरी दुनिया में अब धरा क्या है
दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
हाए इस दर्द की दवा क्या है
हूरें नेकों में बट चुकी होंगी
बाग़-ए-रिज़वाँ में अब रखा क्या है
उस के अहद-ए-शबाब में जीना
जीने वालो तुम्हें हुआ क्या है
अब दवा कैसी है दुआ का वक़्त
तेरे बीमार में रहा क्या है
याद आता है लखनऊ 'अख़्तर'
ख़ुल्द हो आएँ तो बुरा क्या है
ग़ज़ल
किस को देखा है ये हुआ क्या है
अख़्तर शीरानी