शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला
अब्दुल हमीद अदम
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही
अब्दुल हमीद अदम
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँडती रही
अब्दुल हमीद अदम
सो भी जा ऐ दिल-ए-मजरूह बहुत रात गई
अब तो रह रह के सितारों को भी नींद आती है
अब्दुल हमीद अदम
तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली
तिरी रहमत पे इल्ज़ाम आ रहा था
अब्दुल हमीद अदम
तबाह हो के हक़ाएक़ के खुरदुरे-पन से
तसव्वुरात की ता'मीर कर रहा हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
तख़लीक़-ए-काएनात के दिलचस्प जुर्म पर
हँसता तो होगा आप भी यज़्दाँ कभी कभी
अब्दुल हमीद अदम